218.चले गए तुम सब भूल के - कामिनी मोहन।'s image
342K

218.चले गए तुम सब भूल के - कामिनी मोहन।

चले गए तुम सब भूल के,
हुए मन के श्रृंगार सब धूल के।
है सामने खिल रहा अलबेला वसंत
चुभ रहे वेदना के काँटे बबूल के।

जीवन गति कंपायमान पर चलते हैं।
धरा और आकाश भ
Read More! Earn More! Learn More!