215.मैं आऊँगा
- © कामिनी मोहन।'s image
103K

215.मैं आऊँगा - © कामिनी मोहन।

जब हवाओं में सुगन्धि टूटेंगी,
आम्र तरुओं में बौर लाऊँगा।
तुम्हारी कंचन काया पर,
धूप-सा खिल जाऊँगा। 

तरुओं की शाखाओं पर,
मखमली पत्ते सजाऊँगा।
कंपकंपाती टहनियों पर,
पीताम्बर सजाऊँगा। 

ऋतुएं बदलेगी,
मैं अल्हड़ आऊँगा।
धरा पर प्राण फूंकने
Read More! Earn More! Learn More!