![215.मैं आऊँगा
- © कामिनी मोहन।'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40kaminimohanjournalist/None/1675310248348_02-02-2023_09-27-34-AM.png)
जब हवाओं में सुगन्धि टूटेंगी,
आम्र तरुओं में बौर लाऊँगा।
तुम्हारी कंचन काया पर,
धूप-सा खिल जाऊँगा।
तरुओं की शाखाओं पर,
मखमली पत्ते सजाऊँगा।
कंपकंपाती टहनियों पर,
पीताम्बर सजाऊँगा।
ऋतुएं बदलेगी,
मैं अल्हड़ आऊँगा।
धरा पर प्राण फूंकने
आम्र तरुओं में बौर लाऊँगा।
तुम्हारी कंचन काया पर,
धूप-सा खिल जाऊँगा।
तरुओं की शाखाओं पर,
मखमली पत्ते सजाऊँगा।
कंपकंपाती टहनियों पर,
पीताम्बर सजाऊँगा।
ऋतुएं बदलेगी,
मैं अल्हड़ आऊँगा।
धरा पर प्राण फूंकने
Read More! Earn More! Learn More!