210.नहीं, नहीं बस और नहीं -कामिनी मोहन।'s image
405K

210.नहीं, नहीं बस और नहीं -कामिनी मोहन।

नहीं, नहीं बस और नहीं
कविता की भाषा पर गौर नहीं। 

कविता के धरातल का 
चाहे हो कोई ठौर नहीं,
पर कवि और उसकी कविता 
Read More! Earn More! Learn More!