![207.नव वर्ष -कामिनी मोहन।'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40kaminimohanjournalist/None/1672540452791_01-01-2023_08-04-16-AM.png)
नव वर्ष
नृत्य की सदी हो,
प्रेम की बहती नदी हो
ज़र्रे-ज़र्रे ने दुआएँ दी हो
गीत-संगीत में बंदगी हो।
ज़र्द रिश्ता शीतल शजर हो,
ज़मीं पर ख़ुशनुमा मंज़र हो
खिला-खिला हर चेहरा हो
हर आशियाँ अहल-ए-नज़र हो।
चारों ओर रौशन चराग़ाँ हो,
क़दम मंज़िल तक फ़रोज़ाँ हो।
सर-ए-शाम उजाले जश्न मनाए यहाँ
नृत्य की सदी हो,
प्रेम की बहती नदी हो
ज़र्रे-ज़र्रे ने दुआएँ दी हो
गीत-संगीत में बंदगी हो।
ज़र्द रिश्ता शीतल शजर हो,
ज़मीं पर ख़ुशनुमा मंज़र हो
खिला-खिला हर चेहरा हो
हर आशियाँ अहल-ए-नज़र हो।
चारों ओर रौशन चराग़ाँ हो,
क़दम मंज़िल तक फ़रोज़ाँ हो।
सर-ए-शाम उजाले जश्न मनाए यहाँ
Read More! Earn More! Learn More!