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198. सुंदर चीज़  - कामिनी मोहन।

जीवन चलता रहता है
और सप्तरंगी सपने तैरते रहते हैं। 

समंदर से आशा उठती है 
कभी मरना नहीं चाहती 
दर्द में भी 
कल के लिए 
योजना बनाती है। 

आगाज़ अंधेरी सड़क पर तेज़ी से दौड़ते हैं
समंदर की खिड़की से बाहर झाँकते हैं 
यह कल है या कि आज है
कल और आज की आवाज़ के लिए
मैं एक अध्याय हूँ 
समझते रहते हैं। 

तूफ़ान की प्रतीक्षा में
धूप का आनंद नहीं 
रास्ता खो दिया पर
ख़ुद को खोया नहीं। 

क्योंकि आज और कल
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