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183.अपने माज़ी को जो भूल गए- कामिनी मोहन।

अपने माज़ी को जो भूल गए,
गागर पूरा खाली कर गए।

लम्हा छलका तो वापस न हुआ
गागर टूटा तो फिर अपना न हुआ।
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