वक़्त अंकों से नहीं है ख़ाली
- कामिनी मोहन।
गोल घूमती धरती के
दक्षिणावर्त्त छूट रहे
समय के संसार में
वक़्त अंकों से नहीं है ख़ाली
कोई न कोई अंक हर किसी को मिला हैं।
जीवन है चलता रहता
सिर्फ़ छूटते-पकड़ते फ़िलहाल का
फ़लसफ़ा मिला है।
अंधेरा है
उजाला है
सुख है
दुख है
नफ़रत है
प्रेम है।
इसकी बूँद चमकती ही है
लेकिन दिखता एकपक्ष ही है।
कुछ रहता है
कुछ वाष्पित होकर चला जाता है
लेकिन ठहरन
- कामिनी मोहन।
गोल घूमती धरती के
दक्षिणावर्त्त छूट रहे
समय के संसार में
वक़्त अंकों से नहीं है ख़ाली
कोई न कोई अंक हर किसी को मिला हैं।
जीवन है चलता रहता
सिर्फ़ छूटते-पकड़ते फ़िलहाल का
फ़लसफ़ा मिला है।
अंधेरा है
उजाला है
सुख है
दुख है
नफ़रत है
प्रेम है।
इसकी बूँद चमकती ही है
लेकिन दिखता एकपक्ष ही है।
कुछ रहता है
कुछ वाष्पित होकर चला जाता है
लेकिन ठहरन
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