
लोग हम जैसे कलमकारों को कब पढ़ा करते हैं
वरना हम भी तो गज़ब गीत गज़ल कहा करते है
उनकी आंखों के सहराओ में डूबकर ही हम तो
मुकम्मल सी एक गज़ल हर रोज गढ़ा
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लोग हम जैसे कलमकारों को कब पढ़ा करते हैं
वरना हम भी तो गज़ब गीत गज़ल कहा करते है
उनकी आंखों के सहराओ में डूबकर ही हम तो
मुकम्मल सी एक गज़ल हर रोज गढ़ा