
माना मुहब्बत से परहेज तुमको ||
जरा उस मशिनरी को अजमा के देखो ||
विधाता ने सृष्टि जहां से रची है ||
नदी अप्सरा की नहा करके देखो ||
बसेगी गृहस्थी काटेंगे सही दिन ||
खुशियों का दीपक जला करके देखो ||
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माना मुहब्बत से परहेज तुमको ||
जरा उस मशिनरी को अजमा के देखो ||
विधाता ने सृष्टि जहां से रची है ||
नदी अप्सरा की नहा करके देखो ||
बसेगी गृहस्थी काटेंगे सही दिन ||
खुशियों का दीपक जला करके देखो ||