जहां's image

एक टूटी सड़क सी, शायद कहीं को जाति थी, कच्चा वहां मकां था, शायद वही जहां था,


चंद दीवारों सी घिरी, छत का वहां जो आसमां था, लगता हुबहू मिरे मन जैसा, शायद वहीं जहां था,


एक शख्स था मौशरे में, अब ख्वाबों में नजर आता था, कुछ उड़ गए परिंद थे

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