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नारी का सौन्दर्य

नारी का सौन्दर्य ❤


मेरी ज़ुल्फें क्या लहराईं,घटा घनघोर छाई है।

सुना है आज वर्षा भी, धरा से मिलने आई है।

मैने पलकें उठायीं क्या,हुआ सारा जहाँ रोशन।

ज़रा नज़रें झुकी कि बस,अंधेरी रात छाई है।


अभी मैं मुस्कुरायी थी,कि बस गिरने लगी बिजली।

समझ कर फूल होंठों को,कहीं मंडराये ना तितली।

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