![आसमां ज़मीं पर's image](/images/post_og.png)
हाथों में था जो फूल महक दे गया है क्या
सूरज वो आँखों को चमक दे गया है क्या।
किनारों पे आज कैसा ये सन्नाटा पसरा है
तूफान कोई कश्तियाँ डुबो गया है क्या।
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हाथों में था जो फूल महक दे गया है क्या
सूरज वो आँखों को चमक दे गया है क्या।
किनारों पे आज कैसा ये सन्नाटा पसरा है
तूफान कोई कश्तियाँ डुबो गया है क्या।