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मेरी कलम के आंसू बहते है

आये दिन हररोज,मेरी कलम के आंसू बहते है! 
सुबह से संध्या मेरे आंगन में,कलम के अक्षर खिलते है!! 
आये दिन हादसों से जब कलम हथेली पे रोने लगे, 
रोक नहीं पाता खुदको,मेरे भी आंसू बहते है!! 


जमीं -आसमां, तारों की तारीफ वह करते है, 
जो एक दफ़ा यहाँ ,दूसरी दफ़ा कहीं और चहकते है! 
मेरे शि
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