
वो चिड़िया जो गाती थी शाख़ों के गीत,
आज ढूँढे उसे बाग़, हैं सब विस्मित।
नदियों की लहरों में थी जिसकी सदा,
अब खामोश बहती है गुमसुम धरा।
जिस आँगन में बचपन का मधुर गान था,
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वो चिड़िया जो गाती थी शाख़ों के गीत,
आज ढूँढे उसे बाग़, हैं सब विस्मित।
नदियों की लहरों में थी जिसकी सदा,
अब खामोश बहती है गुमसुम धरा।
जिस आँगन में बचपन का मधुर गान था,