
कुछ अल्फ़ाज़ थे जो लबों तक आए नहीं,
दिल में थे मगर दुनिया को सुनाए नहीं।
वो एहसास जो ख़ामोशी में पलते रहे,
एक आग थी सीने में, मगर धुएं दिखाई नहीं दिए।
अब जब कलम चली, तो रूह ने
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कुछ अल्फ़ाज़ थे जो लबों तक आए नहीं,
दिल में थे मगर दुनिया को सुनाए नहीं।
वो एहसास जो ख़ामोशी में पलते रहे,
एक आग थी सीने में, मगर धुएं दिखाई नहीं दिए।
अब जब कलम चली, तो रूह ने