लड़की का जीवन
सिमटकर रह जाता है ,
चौखट , चूल्हे , चौके तक ।
जन्म के बाद ,
समाज ! उस खिलते फूल को
रौदने के लिये बोझ डाल देता है ।
आँधी में जो हालत पेड़ की होती है
समाज में लड़की की होती है ,
पर ! मजबूती से खड़ी रहती है ।
समाज ! सीखो उस लड़की से ,
जो समाज के ताने सुनकर भी 
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