वो छोटी सी बगियाँ
महक रही थी अकेली
मानों कोई गम न था
उसकी जिन्दगी में
प्रकृति ने
पाल पोसकर खूब
संजोयाँ उसे
लग रहा था मानों
स्वर्ग की सैर पर आया हूँ
मन बड़ा
आनंदित , प्रफुल्लित था
वो प्रकृति की
अकाट्य , अद्भुत सुन्दरता
रम गया मै
भूल सा गया खुद को
उसकी खुशबू ,
उसकी सुन्दरता मैं
लाल पीले ,&n
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