
कपड़े की छोटी सी दुकान थी
तीन बेटियों का पिता था
फिर भी चेहरे पर मुस्कान थी
तीनो को ख़ूब पढ़ाया,
ख़ुद की फटी क़मीज़ थी ,
फिर भी उनको क़ाबिल बनाया
पाई पाई पैसा पिता ने जोड़ा था
तीनो बेटी का ब्याह रचाना था
पिता होने का धर्म जो निभाना था
अचानक क़िस्मत ने करवट लिया
पिता को एक बड़ा झटका दिया
अब तीन नहीं, दो ही बेटी की शादी होगी
एक दिन दरिंदो की नज़र छोटी पर
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