![अमृत है हर बूंद's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40jigyasa411/None/1641491868751_06-01-2022_23-27-49-PM.png)
रचना: अमृत है हर बूँद
*******************
बूँद एक टपकी गगन से ।
बूँद एक टपकी नयन से ।।
बूँद का हर रूप मानव,
को परिष्कृत कर गया।।
बूँद गिरती जब सुमन पे ।
बूँद गिरती जब तपन पे ।।
बूँद का प्रारूप प्रकृति को,
सुसज्जित कर गया ।।
बूँद की भर के अँजूरी ।
बूँद हर पल है
*******************
बूँद एक टपकी गगन से ।
बूँद एक टपकी नयन से ।।
बूँद का हर रूप मानव,
को परिष्कृत कर गया।।
बूँद गिरती जब सुमन पे ।
बूँद गिरती जब तपन पे ।।
बूँद का प्रारूप प्रकृति को,
सुसज्जित कर गया ।।
बूँद की भर के अँजूरी ।
बूँद हर पल है
Read More! Earn More! Learn More!