युँ न गुजरा करो ऐ सनम
इस तंग दिल के गलियारे से,
तुम्हारे आने से ये गुलिशतां फिर से खिल उठते है,
जो है अगर अब भी मोहब्बत हमसे,
आकर इज़हार ऐ इश्क़ फिर से कर भी दो,
तड़पाओ
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युँ न गुजरा करो ऐ सनम
इस तंग दिल के गलियारे से,
तुम्हारे आने से ये गुलिशतां फिर से खिल उठते है,
जो है अगर अब भी मोहब्बत हमसे,
आकर इज़हार ऐ इश्क़ फिर से कर भी दो,
तड़पाओ