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तेरे दिल की दहलीज़ पे मैं सुबह को शाम करना चाहता हुँ,

तेरे दिल की दहलीज़ पे मैं सुबह को शाम करना चाहता हुँ

अपनी ज़िंदगानी के तमाम क़िस्से तेरे नाम करना चाहता हुँ,

पल भर इजाज़त दे अगर इस चाँद से चेहरे को निहारने की,

आँखों में सजा के इसका नूर उम्र सारी मैं बसर करना चाहता हुँ!!


ये जो तेरी रेशमी ज़ुल्फ़ें जब बिख़र कर गालों पे आती है,

इस दुनिया में

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