![चल आज फिर खुद को खुद से ही मिलाते है!'s image](/images/post_og.png)
तु उदास बैठा क्यूँ है, चल कुछ गीत पुराने गाते है,
जो छुट गया है बीच राह साथ उसे भी लाते है,
जाने अनजाने देखे उन ख्वाबों को मुक़म्मल अब कर आते है,
इस रंग-बिरंगी दुनियाँ में छाप नयी छोड़ आते है,
चल आज फिर खुद को खुद से ही मिलाते है!!
होंसला अब भी तुझमे उतना ही है, बस हिम्मत नयी जुटाते है,
मान लिया था जो तूने खुद को रूप तेरा वो दिखलाते है,
बैचेन सी बिख़री कुछ राहें मोड़ उन्हें नया दे आते है
सिमट रहे है जो ख्याल तेरे पंख सुनहरे उन्हें लगाते है
चल आज फिर खुद को खुद से ही मिलाते है!!
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