क्या ईश्वर है?
अगर है तो उसे क्यों चाहिए की कोई उसकी उपासना करे?
हमारी उपासना ही उसको ईश्वरत्व देती है तो उससे क्या उम्मीद करें?
क्या उसने सृष्टि का सृजन किया है?
अगर किया है तो इसका पालन क्यों नहीं करता?
अगर करता तो यह जगत किसी ठोस नियम के अनुसार चलता।
बुरे के साथ हमेशा बुरा ही होता।
मगर ऐसा कहां है होता?
क्यों उस तक नही पहुंचती भूखों की खामोश पुकार?
क्यों नहीं वो रोकता जब होता है किसी असहाय निर्बल पर वार?
क्यों कोई अबला रोज अपमान का घूंट पीती है?
खुद का ही जीवन क्यों औरो की मर्ज़ी से जीती है?
क्यों वह धर्म के ठेकेदारों द्वारा किया शोषण नहीं रोकता?
क्यों जाति, रंग, नस्ल पर भेद करने वालो को नहीं टोकता?
क्यों बने है उसके नाम पर मंदिर,
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