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इश्क़ और चाय

वो अदरक की चाय,

मैं उसमे डूबा बिस्कुट हूँ।

वो घना काला बादल,

मैं उसमें छुपा पानी हूँ।

वो काली घटा का प्यार,

मैं उससे घटती नफ़रत हूँ।। (1)


वो मेरी दीवानी,

मैं उसमें खोया आशिक़ हूँ।

वो गर्म पकोड़े जैसी,

मैं बाहर पडती बारिश हूँ।

वो 5 स्टार का केक,

मैं ढाबे का शेक हूँ।।     (2)


वो गगन में उड़ती पतंग,

मैं उसमे लगी डोर हूँ।

वो होंठो की मुस्कान,

मैं मुस्कान का कारण हूँ।

वो आँख का आँसू,

मैं उससे

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