ये हम, कहां पर,चले आए यार,
जहां नफरतों का लगा है बाजार।।
हैं बिवी से नफ़रत, सिधे घर में आवो,
उधर कि न सुनो,इधर की सुनाओ,
बनाओं बहाने वहां जाके कुछ भी,
बताओं हुए हम भी अब दो से चार।। ये हम...
हैं मां कहती बेटे, वो तुमको पढ़ाती,
वही तुम हो करते जो तुमको बतातीं,
ये कहती इसि दौर से हूं मैं गूजरी,
जहां पर ख
Read More! Earn More! Learn More!