
यमुना नदी : बरहुला घाट
" बरहुला घाट " यमुना नदी का एक नामचीन किनारा जहाँ पर दोनों छोर पर बसे गांव का मिलन एक डोंगी के जरिये रोज़ होता है और वही डोंगी जोड़ती है दोनों गाँव के दिलों को ,रिश्तों को ,सभ्यताओं को और देती है रोज़गार !
कार्तिक महीने में ठंड और हवा का मिलाप इस क़दर रहता है कि यमुना नदी से मौसम भी आँख मिचौली करता है और ऊपर से डोंगी का सफ़र ! बस ये समझ लीजिए कि चलती ट्रेन से कूदने से भी ज़्यादा खतरनाक ! यहाँ की सबसे खूबसूरत बात पता है क्या है ! - यहाँ आज भी वापसी का किराया प्यार और हँसी से ही दे दिया जाता है बिल्कुल किसी चुटकुलों की तरह !
हाँथ में खैनी लिए बनवारी ज़ुबान से थोड़ा हकलाते हुए एक लंबी आवाज़ लगाई और सबको जल्दी आने को बोलने लगा ,
सुबह के 8 बज रहे थे मास्टर साहब अपने निर्धार
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