
हद से ज्यादा सतिंदर सरताज सुरीला गाते।
मेरी खुद कुछ भी लिखने की नहीं है कोई औकात।
ये तो प्रभु,नीलू दीदी और मेरी मां ही है जो अपने बेटे सनी से रोज़ कुछ ना कुछ लिखवाते।
सूफी गाने बहुत कम लोग गाते।
नये नये कलाकार तो रोज़ कई मार्केट में आते।
ज्यादा देर तक वो फिर टिक नहीं पाते।
होशियारपुर ज़िले के है सतिंदर सरताज जी रहने व
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