जब जब महीने की 22तारीख है आती ।
प्रभु और नीलू दीदी की दी हुई कलम से मां आपके लिये कोई ना कोई पोस्ट त्यार हो जाती ।
कल देर रात को बड़े दिनों बाद मां आपके कमरे में
मैं सोने का मौका मिला ।
लाइट नहीं थी मां सारी रात लेकिन फिर भी मां गर्मी का ज़रा भी एहसास ना हुआ ।
ऐसा लगा मां आपकी गोद में मैंने सर रखा और आपने मेरे माथे को छूहा ।
आपके प्यार का मां मुझे आज भी एहसास हुआ ।
कहने को मां आप हमसे दूर हो ।
आना चाहते हो मां आप भी वापिस लेकिन आप बहुत मजबूर हो ।
गलतियां किस इंसान से नहीं होती ।
उन बच्चों का दुख कोई नहीं समझ सकता जिनके पास पिता नहीं होता या उनके पास उनकी मां नहीं होती ।
आधी से ज्यादा तो रिश्तेदारी आज कल सिर्फ़ मतलब की होती ।
बहुत कम रिश्
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