संगीत जिनकी नस नस में था समाया ।
इसी साल 6फरवरी के दिन हमारे देश ने संगीत की देवी कहे जाने वाली लता मंगेशकर जी को प्रभु अपने पास बुलाया ।
एक से बढ़कर एक लता मंगेशकर जी ने सुरीला गाना गाया।
कोशिश तो बहुत लोगों ने की लेकिन लता जी जैसे कभी कोई गीत गा ना पाया।
आज भी लता मंगेशकर जी की याद है आती ।
देखते है प्रभु,नीलू दीदी की दी हुई कलम आज अपने बेटे सनी से क्या लिखवाती ।
सिर्फ़ 5साल की उम्र में लता जी संगीत सीखने लगी थी।
क्योंकि संगीत की विदया इन्हें अपने पिता जी से मिली थी।
सिर्फ़ एक दिन के लिए ही लता जी स्कूल जा पाई।
क्योंकि एक टीचर की कही बात इन्होंने अपने दिल पे लगाई।
लेकिन फिर भी इनकी गायकी ने इन्हें एक से बड़ी एक उपलब्धि दिलाई।
13साल की थी लता मंगेशकर जी जब इनके पिता ने अपनी जान गवाई।
पिता के जाने के बाद पिता के दोस्त मास्टर विनायक ने पूरी ईमानदारी से अपनी दोस्ती निभाई।
हर संभव मदद लता जी के परिवार की विनायक जी ने करके दिखाई।