जैसे फूलों की महकती बाहर।
सावन में बारिश जब जब होती मोर नचाने के लिए हो जाता त्यार।
जन्मदिन है जिनका आज।
लोग पढ़ते है उनकी शायरी कमाल के शायर है साहब गुलज़ार।
पाकिस्तान में इन्होंने अपना बचपन बिताया।
छोटी सी उम्र में मां का सर से उठ गया था साया।
तब आंखों में गुलज़ार साहब की आंखों में आसुओं का सैलाब आया।
बटवारे के बाद इनका परिवार भारत आया।
फिर अमृतसर में इनके परिवार वालों ने अपना घर बसाया।
गुलज़ार साहब कुछ देर वहा रुकने के बाद मुंबई के लिए हुऐ रवाना।
मुंबई में इन्होंने मैकेनिक तक की नौकरी करके दिखाना।
फुरसत के पलों में दीवानगी ऐसी थी इनकी कलम के साथ इन्होंने कविताएं लिखने बैठ जाना।
इतने प्यार से लिखते थे गुलज़ार साहब तभी तो आज तक हर कोई है इनका दीवाना।
सोच लिया था गुलज़ार साहब ने कुछ बड़ा किया जाये।
मेरे लिखे हुऐ शब्दों को लोगों के दिलों तक पहुंच
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