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ग़ज़ल (इबादत)

बेपनाह खूबसूरती का दूसरा नाम है वो।

एक खूबसूरत मस्तानी जैसे शाम है वो।


उसकी तस्वीर देखकर ही मैं अपना हर दर्द हर गम भूल जाता हूं।

उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे चारों दिशाओं की यात्रा करने मैं रोज़ करने जाता हूं।


कुछ लोग कहते है किसी से मोहब्बत नहीं होनी चाहिए।

लेकिन अगर हो जाएं किसी की इबादत तो फिर वो इबादत मरते दम तक खत्म नहीं होनी चाहिए।


पता नही क्यों उसके चेहरे से खूबसूरत चेहरा किसी और का नहीं लगता है।

चांद भी उसकी

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