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Kavita: Kabhi Mera Dil Kabhi Meri Dhadkan by Arman Habib Islampuri

कभी मेरा दिल कभी मेरी धड़कन,
कह के पुकारी थी जां भी कभी। 
तुम जो कहो तो दिखला दूं मैं, 
खत में हुई थी जो बातें कभी। 

वो बातें अधूरी और रात अंधेरा, 
वो जुगनू बदन और चांद अधूरा। 
गुलाबों सी खुशबू थी लफ्जों में तेरी 
जेहन में महकती हैं बातें अभी। 

कभी मेरा दिल कभी मेरी धड़कन,
कह के पुकारी थी जां भी कभी। 

वो सर्दी का मौसम और भीगी हवाएं 
शबे वस्ल और गोद में तुमको छुपाए
सर रख के सोई थी बाहों में तुम 
वो ख्वाबों में आते है रातें अभी। 

तुम जो कहो तो
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