रहुं बंदिनी या इन पाशो से मुक्त हो जाऊं...
मृत् रहु या जीवित हो जाऊं...
नारी हूं, हुं कोमल..पर क्या इतनी? की मूक कटाक्षो से ध्वस्त हो जाऊं..
वियोगनी भी मैं और वयोग मेरे ही..
पितृ
मृत् रहु या जीवित हो जाऊं...
नारी हूं, हुं कोमल..पर क्या इतनी? की मूक कटाक्षो से ध्वस्त हो जाऊं..
वियोगनी भी मैं और वयोग मेरे ही..
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