![शंखनाद's image](/images/post_og.png)
उठो शंखनाद करो चलो के ईश्वर सोया है
अन के दो कण जुटाने निकला था जिसके लिए, उसने भुजाओं में दम तोड़ा है...
ना धूप से रूका ना वर्षा की बौछारौ से
ना ज्वार से ना धूल की हुंकारो से
फिर क्यों निर्जीव मेरा भविष्य पड़ा है
क्यों त्रासदी
अन के दो कण जुटाने निकला था जिसके लिए, उसने भुजाओं में दम तोड़ा है...
ना धूप से रूका ना वर्षा की बौछारौ से
ना ज्वार से ना धूल की हुंकारो से
फिर क्यों निर्जीव मेरा भविष्य पड़ा है
क्यों त्रासदी
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