![चार खिड़कियां।'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40irarelywrite/cara-khirakiyam/WhatsApp_Image_2020-04-15_at_20.05.00.jpeg)
कहानी:
मेरी खिड़की से चार खिड़कियां और दिखती हैं
कभी बहोत शोर या चुप रहती हैं।
कुछ दिन खिड़की पे नहीं आता तो याद करती हैं,तुम्हारी और मेरी कहानी के बारे में पूछती रहती हैं,
तुम जो अब साथ बैठती नहीं हो तो सवालों का पहाड़ खड़ा करती हैं।
मना करो तो घरों की रोशनी बंद कर देती है, ना मना करो तो चिल्ला चिल्ला के मेरे घर के शीशे तोड़ देती हैं।
इजाज़त हो तो झूठ बोल दूँ,
तुम्हारे जैसी कठपुतल
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