Gazal's image


हमारे गांव, चौबारे  हमारे,

कभी तो साथ में चलिए हमारे।


गये हम भूल  सब बिरहा की तानें।

कहाँ सजती है अब चौपाल द्वारे।


उगाते हैं फसल भरपूर लेकिन

कहां होते हैं अब उस से गुज़ारे।

कोई देता नहीं शादी को लड़कीहैं बैठे गांव में कितने कुंवारे।


फसल खलिहान में आने से पहले

Read More! Earn More! Learn More!