उठा हाथ नभ की ओर,
समूचा ब्रह्मांड समेट लूंगा,
यायावरी! इस जीवन को,
क्षणभर यही थाम दूंगा,
अतरंगी इस दुनिया में,
ख्वाब मेरे सतरंगी हैं,
इक्का-दुक्का सा दबा दु:ख कहीं,
ह्रदय से इच्छाएं उचट चुकी हैं,
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उठा हाथ नभ की ओर,
समूचा ब्रह्मांड समेट लूंगा,
यायावरी! इस जीवन को,
क्षणभर यही थाम दूंगा,
अतरंगी इस दुनिया में,
ख्वाब मेरे सतरंगी हैं,
इक्का-दुक्का सा दबा दु:ख कहीं,
ह्रदय से इच्छाएं उचट चुकी हैं,
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