
दर्द दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है,
मुझे आश है तेरे आगोश की,
बात यह है कि मैं कराह नही सकता,
दुखती है कि रग खामोश सी,
मैं लिखूं तुझे चिट्ठी,
मुझे दरख़्त की चिंता खा जाती है,
मुझे रात की वीरानियां खा
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दर्द दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है,
मुझे आश है तेरे आगोश की,
बात यह है कि मैं कराह नही सकता,
दुखती है कि रग खामोश सी,
मैं लिखूं तुझे चिट्ठी,
मुझे दरख़्त की चिंता खा जाती है,
मुझे रात की वीरानियां खा