मसखरा समाज's image
163K

मसखरा समाज

मैं कुलीन समाज का,

बहिष्कृत नागरिक हूं,

तुम्हारी कुपरंपराओं से परे,

परिष्कृत विचारों से सना,

बेदखल बेगार हूं,


नित असफलताओं का,

मेरी जुबां मांगे स्वाद,

तुम्हारे आस्वादन में,

मैं फीका बेकार हूं,


समाज! ऐसे समाज,

नही प्रेरणा तुम मेरी,

तुम मसखरे,नौटंकियां,

पीठ पीछे हार पर,

मेरी कसते तुम फब्तियां,


भला! भला एकांत मेरा,

वही देता सुखांत मुझे,

एक खिड़की और चारदिवारी,

बंद हृदय का दरवाजा,

देते मुझको आश्चर्य अद्भुत,

जब भी मैं खो देता सुध-बुध,


पगार द

Read More! Earn More! Learn More!