
मैं चुनता तुझे औंस भर भी तो क्या,
मेरी छुअन भर से तू बिखर जाती,
मैं चुनता तुझे खिली धूप सा भी तो क्या,
तू काली बदली को अखर जाती,
मैं कितने दर्द तेरे दिल से चुनता,
अच्छा होता कि सलाईयां जोड़ खुशियां बुनता,
पर तू भी
Read More! Earn More! Learn More!
मैं चुनता तुझे औंस भर भी तो क्या,
मेरी छुअन भर से तू बिखर जाती,
मैं चुनता तुझे खिली धूप सा भी तो क्या,
तू काली बदली को अखर जाती,
मैं कितने दर्द तेरे दिल से चुनता,
अच्छा होता कि सलाईयां जोड़ खुशियां बुनता,
पर तू भी