कल्पनाओं को अपरिमित,
अनुभूतियों में संझो कर,
तुम्हारी अनुकृति बनाना ही,
तो है कविता,
तेरे सुखद अहसास को,
स्वर में गुनगुना कर,
शब्द-शब्द कर देना ही,
तो है कविता,
मेरे मन में बैठी,
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कल्पनाओं को अपरिमित,
अनुभूतियों में संझो कर,
तुम्हारी अनुकृति बनाना ही,
तो है कविता,
तेरे सुखद अहसास को,
स्वर में गुनगुना कर,
शब्द-शब्द कर देना ही,
तो है कविता,
मेरे मन में बैठी,