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एक बार फिर भ्रम-ए-इश्क़....

एक बार फिर भ्रम-ए-इश्क
हमने अपने दिल में पाल लिया,
झुकी आंखों से उसकी,
फिर शर्म-ओ-हया को जान लिया,


अब फिर हम दीवाने होंगे,
कागज,कलम,दवात,
और शायरी हमारा सहारा होंगे,


चुनेंगे एक और सनम,
अब आशिकी को हम,
होगा फिर एक बार और,
हमे भ्रम-ए-इश्क़,


फिर लटे उलझेंगी,
कानो के झुमकों से,
और आंखे झीलों-सी,
झिलमिलाएंगी,
टकरा अधरों रूपी नाव से,
शब्दो में फिर से,
चुनर लहलाएंगी,


तेरी ओर से लौटी,
पुरवाई फिर हमें सहलाएंगी,
दे झोंका तन को मेरे,
खुशबू को तेरी,
मेरी बांहों में भर जाएंगी,
उस रोज की तरह,
इस रोज भी,
करतूतें तेरी या मेरी,
कोई नई कहानी लिखवाएंगी,


पर नही उत्साह,
मन में मेरे,
जो था पहलों
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