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अनमने मन से...

ऊंघते अनमने से मन से,

झुंझला, खिन्नता से भरे मन से,

देखा है आज मैंने,

क्षणिक उठा नभभर दृष्टि,

उजले-काले, छटतें बनते,

बिना पग के पयोध चलते,




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