![हिंदी कविता- आगे बढ़ने के क्रम में's image](/images/post_og.png)
आगे बढ़ने के क्रम में
पीछे छूट जाता है बहुत कुछ
एक नदी पार करने में
जैसे छूट जाता है कोई किनारा
किनारे पे लगे नाव,
वापस लौटने की प्रतीक्षा
ज्यों ज्यों,आदमी बढ़ रहा होता है आगे
त्यों त्यों छूट रहे होते हैं
गली मोहल्ले, चौराहे और अनगिनत मोड़
जंगल का सूनापन, शहर के शोर
आगे बढ़ने के क्रम में
कभी छूट गया था स्कूल
कक्षाओं में लगे कुर्सी, बेंच और ब्लैकबोर्ड
छूट गए थे पुराने यार
मास्टर जी की म
Read More! Earn More! Learn More!