
और एक दिन अचानक
मैं फिर जागूँगा नींद से.
देखने तुम सब की सूरतें,
जिसपर ताने थे हज़ार.
देखने तुम सबकी वो होंठ,
जिसपर फैली थी मुस्कान.
जो सिर्फ बुरा सुनने को इतराता था,
कनपटी तक फैली हुई वो कान.
जो कभी ना मेरा हमदर्द बना,
छाती में छुपा वो जान.
मुझे पता है मैं सोया हूँ,
खुद से मिलने में खोया हूँ.
मेरी कामयाबी को कब तक
अपनी नाकामयाबी साबित करेगा..!!
अब तो जागो ऐ नादान.
मैं सोया हूँ,
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