अपराजिता की तरह's image
573K

अपराजिता की तरह

उकेड़ लेती प्रिय तुमको

काश मैं अपनी कविता की तरह

बहता तुम्हारा प्रेम निश्छल सा

मेरे रोम रोम में सरिता की तरह

तुमको पाकर तुम में ही मैं

घुल जाती मैं तुम्हारे रंग में

प्रेम जो होता रा

Read More! Earn More! Learn More!