तेरी मिट्टी मे मिल जावाँ geet| तेरी मिट्टी Teri Mitti geet in Hindi | Hindwi
तेरी मिट्टी मे मिल जावाँ
गुल बनके मैं खिल जावाँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू
तेरी नदियों मे बह जावाँ
तेरे खेतों मे लहरावाँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू
तलवारों पे सर वार दिए
अंगारों में जिस्म जलाया है
तब जाके कहीं हमने सर पे
ये केसरी रंग सजाया है
ऐ मेरी जमीं अफसोस नहीं
जो तेरे लिए सौ दर्द सहे
महफूज रहे तेरी आन सदा
चाहे जान ये मेरी रहे न रहे
हाँ मेरी जमीं महबूब मेरी
मेरी नस नस में तेरा इश्क बहे
फीका ना पड़े कभी रंग तेरा
जिस्म से निकल के खून कहे
तेरी मिट्टी में मिल जावां
गुल बनके मैं खिल जावां
इतनी सी है दिल की आरजू
तेरी नदियों में बह जावां
तेरे खेतों में लहरावां
इतनी सी है दिल की आरजू
ओ.. ओ.. ओओओ..
सरसों से भरे खलिहान मेरे
जहाँ झूम के भांगड़ा पा न सका
आबाद रहे वो गाँव मेरा
जहाँ लौट के वापस जा न सका
ओ वतना वे मेरे वतना वे
तेरा मेरा प्यार निराला था
कुर्बान हुआ तेरी अस्मत पे
मैं कितना नसीबों वाला था
तेरी मिट्टी में मिल जावां
गुल बनके मैं खिल जावां
इतनी सी है दिल की आरजू
तेरी नदियों में बह जावां
तेरे खेतों में लहरावां
इतनी सी है दिल की आरजू
ओ हीर मेरी तू हंसती रहे
तेरी आँख घड़ी भर नम ना हो
मैं मरता था जिस मुखड़े पे
कभी उसका उजाला कम ना हो
ओ माई मेरे क्या फिकर तुझे
क्यूँ आँख से दरिया बहता है
तू कहती थी तेरा