ग़ज़ल's image
कविता के रूप में ग़ज़ल का प्रयास---
122  122  122  122
तेरी  बेवफ़ाई  भी  क्या  रंग  लाई,
ख़बर  ये  लगी  तू   हुई  है  पराई। 

जिसे देखने को जतन सब किये थे,
उसी ने नज़र आज  हम  से  चुराई। 

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