
"टूटता रिश्ता"
किसी कारणवश अधिक समय पश्चात जब बात करने का बहुत मन हो,किंतु आत्मसम्मान और अहंकार के मध्य वो है जो आगे बढ़ने से रोकता है। तब उस वो से उन तक की दूरी यादों में ही तय करने वाले याद बनकर रह जाते हैं। अब याद करने का नहीं बल्कि खूबसूरत याद को अपनी बात करने की शुरुआत का वक्त है। डर भी कहीं है, क्या होगा। पर जब सच्चे दिल की बातें एहसास बनकर आँसू कहते हैं, तब धड़कन न केवल सुनती है बल्कि उन यादों , उन बातों से अपनी कहानी भी बुनती है उस वो से उन तक के लिये पहल करना ज
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