
जब छोटे थे,तब बातें समझते नहीं थे
सम्मान था,डाँट से डरते थे
नई उम्र में बात समझना नहीं चाहते
ऊँची आवाज में बातें सुनाने लगे
सम्मान,डाँट के डर को कैद में रख लिया
बूढ़ी आँखों की चमक, होठों की मुस्कराहट समझाना आज भी चाहती है
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